Friday, June 30, 2023

वास्तु

•वास्तु क्या है और क्यों आवश्यक है?

वास्तु शास्त्र मूल रूप से सही समायोजन (Settings) की कला है जहां एक व्यक्ति स्वयं को और अपनी आवश्यकतायों को इस तरह से स्थान देता है ताकि पंचभूतों से प्राप्त अधिकतम लाभ को अवशोषित (absorbed) कर सके।
•पञ्च तत्व तो आप जानते ही हैं (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और अंतरिक्ष) -

पृथ्वी के आसपास के चुंबकीय क्षेत्र/तत्वों का वैज्ञानिक उपयोग पूरी तरह से संतुलित वातावरण बनाता है, जो स्वास्थ्य, धन और समृद्धि को सुनिश्चित करता है।
"वास्तु शास्त्र" स्वर्णिम कल्पनाओं की स्वप्नभूमि है, क्यूँ कि ये आपके जीवन को अद्भुत ढंग से सुनियोजित (well planned) करता है।

•आपने कभी किसी मंदिर में नवग्रहों को एक स्थान पर स्थापित देखा है? कभी सोचा है ये मूर्तियां किस प्रकार व्यवस्थित की जाती हैं?
हिन्दू सनातन मंदिरों में, नवग्रहों (9 planets) की मूर्तियों को उस दिशा (9) के सामने रखा जाता है, जिसे वे वास्तु में शासित करते हैं।

सूर्य को केंद्र में रखते है और पूर्व में मुख, शुक्र को पूर्व की ओर रखते है, बुध उत्तर-पूर्व में, बृहस्पति उत्तर में, केतु उत्तर-पश्चिम में,...
शनि पश्चिम में, राहु दक्षिण-पश्चिम में, मंगल दक्षिण में और चंद्रमा दक्षिण-पूर्व की ओर स्थापित किये जाते हैं।

•इन 9 ग्रहों के लिए परिभाषित गुणों के आधार पर, वास्तु में इन दिशाओं और कोनों (कोण) का उपयोग तय किया गया है।
उदाहरण के लिए उत्तर-पूर्व की दिशा से पारा व्यापार, धन प्रवाह, गणित आदि को नियंत्रित करते हैं। इसलिए उत्तर-पूर्व दिशा आमतौर पर पानी, हरे पौधों आदि से भरी होती है। इसे कुबेर की दिशा भी कहते हैं।

दक्षिण-पश्चिम की दिशा को कैसे नियोजित करते हैं? राहु कालसर्प का सिर है, इसीलिए...उसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए उस दिशा में भारी वजन जैसे ओवरहेड टैंक, भंडारण कक्ष (store room) आदि बनाए जाते हैं।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी पुरुष ग्रह (सूर्य, मंगल, गुरु) का प्रभाव होता है, तो आमतौर पर समस्या उस ग्रह से संबंधित दिशा से आती है और...घर में उससे संबंधित कोने में लगातार गड़बड़ी या मरम्मत का कारण बना रहता है। आप इसे प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।

शास्त्रानुसार 
"सुखम धानानी बुद्धी संतति श्रवणरुणम प्रियाण्यशमश्च समसिद्धि सरस्वस्य सुभलक्षणम् यत्र निन्दिता लक्षामृतं तद् गृहीतम् विघथकृत् अथ सार्वामूपाद्यम् यद्भवे...सुभलक्षणम् देसह पुरं निवासाश्च सर्वेषां शन्नानिच यधाय धीरध्रुस पुरुष यश्चैव त्यश्रेयस्करम् माथमवासस्तु शास्ताधनुते तस्य नश्यं लक्षमणिरन्या थस्मा लोकास्य कृपाय शत्रुमथ-धुरिर्यते”

"समरांगण सूत्र-धारा" में लेखक बताते हैं कि उचित रूप से नियोजित गृह-निर्माण (सुखदायक मकान) से...उस परिवार में सदैव अच्छे स्वास्थ्य, धन, बुद्धि, अच्छे बच्चे, सुख-शांति, खुशी का सदैव आगमन होगा और दायित्वों के ऋण से भी मुक्त रहेंगे।

वास्तुकला के नियमों का उल्लंघन करने से आपके जीवन में अनावश्यक यात्रा, अस्वस्थता, समाज में कलंकित, दुःख और निराशा जैसे परिणाम प्राप्त होते हैं।

Sunday, June 11, 2023

आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??

गहराई से सोचो !
आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? 

अनीता_अल्वारेज, 
अमेरिका की एक पेशेवर तैराक हैं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान परफॉर्म करने के लिए स्विमिंग पूल में जैसे ही छलांग लगाई , वो छलांग लगाते ही पानी के अंदर बेहोश हो गई , 

जहाँ पूरी भीड़ सिर्फ़ जीत और हार के बारे में सोच रही थी वहीं उसकी कोच एंड्रिया ने जब देखा कि अनीता एक नियत समय से ज़्यादा देर तक पानी के अंदर है , 

एंड्रिया पल भर के लिए सब कुछ भूल गई कि वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता चल रही है , एक पल भी व्यर्थ ना करते हुए एंड्रिया चलती प्रतियोगिता के बीच में ही स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी , 

वहाँ मौजूद हज़ारों लोग कुछ समझ पाते तब तक एंड्रिया पानी के अंदर अनीता के पास थी , 
एंड्रिया ने देखा कि अनीता स्विमिंग पूल में पानी के अंदर बेहोश पड़ी है , 

ऐसी हालत में ना हाथ पैर चला सकती ना मदद माँग सकती , 

एंड्रिया ने अनीता को जैसे बाहर निकाला मौजूद हज़ारों लोग सन्न रह गए , एंड्रिया ने अनीता को तो बचा लिया , 

लेकिन हम सबकी ज़िंदगी में बहुत बड़ा सवाल छोड़ गई ! 

इस दुनियाँ में ना जाने कितने लोग हम सबकी ज़िंदगी से जुड़े हैं कितनों से रोज़ मिलते भी होंगे , 

जो इंसान हर किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाता कि असल ज़िंदगी में वह भी कहीं डूब रहा है , वह भी किसी तकलीफ़ से गुज़र रहा है , वह भी किसी बात को लेक़र ज़िंदगी से परेशान हो रहा है , लेकिन बता नहीं पा रहा है

जब इंसान किसी को अपने मन की व्यथा , अपनी परेशानी नहीं बता पाता तो मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वह ख़ुद को पूरी दुनियाँ से अलग़ कर लेता है ,  सबकी नज़रों से दूर एकांत में ख़ुद को चारदीवारी में क़ैद कर लेता है , 

ये वक़्त ऐसा होता है कि तब इंसान डूब रहा होता है , उसका मोह ख़त्म हो चुका होता है , ना किसी से बात चीत  ना किसी से मिलना जुलना , 

ये स्थिति इंसान के लिए सबसे ख़तरनाक होती है , 

जब इंसान अपने डूबने के दौर से गुज़र रहा होता है , तब बाक़ी सब दर्शकों की  भाँति अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होते हैं किसी को ख़्याल ना होता कि एक इंसान किसी बड़ी परेशानी में है , 

अगर इंसान  कुछ दिन के लिए ग़ायब हो जाए  तो पहले तो लोगों को ख़्याल नहीं आएगा , अगर कुछ को आ भी जाए तो लोग यही सोचेंगे , पहले कितनी बात होती थी अब वो बदल गया है या फिर उसे घमंड हो गया है या अब तो बड़ा आदमी बन गया है इसलिए बात नहीं करता , जब वो बात नहीं करता तो हम कियूँ करें ! 

या फिर ये सोच लेते हैं कि अब दिखाई ना देता तो वो अपनी ज़िंदगी में मस्त है इसलिए नहीं दिखाई देता , 

अनीता पेशेवर तैराक होते हुए डूब सकती है तो कोई भी अपनी ज़िंदगी में बुरे दौर से गुज़र सकता है , ये समझना ज़रूरी है 

लेकिन उन लोगों से हट कर कोई एक इंसान ऐसा भी होगा जो आपकी मनोस्थिति तुरंत भाँप लेगा , उसे बिना कुछ बताये सब पता चल जाएगा , आपकी ज़िंदगी के हर पहलू पर हमेशा नज़र रखेगा , थोड़ा सा भी परेशान हुए वो आपकी परेशानी आकर पूछने लगेगा , 

आपके बेहवियर को पहचान लेगा , आपको हौसला देगा आपको सकारात्मक बनायेगा और एंड्रिया की तरह कोच बन कर आपकी ज़िंदगी को बचा लेगा , 

हम सबको ऐसे कोच की ज़रूरत पड़ती है…

ऐसा  कोच कोई भी हो सकता है , आपका भाई , बहन , माँ , पापा ,
आपका कोई दोस्त , आपका कोई हितैषी , आपका कोई रिश्तेदार , कोई भी , जो बिना बताये आपके भावों को पढ़ ले और तुरंत एक्शन ले।

गहराई से सोचो आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? 

साभार

ll सर्वे भवंतु सुखिन:

Thursday, June 1, 2023

अफ़सोस

एक बार एक टीवी इंटरव्यू में अभिनेता धर्मेंद्र से पूछा गया कि आपको क़भी भी फिल्म अमर अकबर एंथनी छोड़ने का अफसोस होता है क्योंकि वो एक सुपर डुपर हिट फिल्म बन गई थी ? 

धर्मेंद्र ने जवाब में मुस्कुराते हुए कहा कि अगर मैंने वो फ़िल्म कर भी ली होती तो अपने जीवन में और क्या बन गया होता, जो अभी नहीं हूं !

ऐसा ही सवाल एक्टर पीयूष मिश्रा से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि सुना है सूरज बड़जात्या आपको मैंने प्यार किया में हीरो लेना चाहते थे, आपने मना कर दिया और रोल सलमान खान को मिल गया और वो कहां से कहां पहुंच गए, कभी आपको इसका अफसोस होता है?  

पीयूष का जवाब बहुत शानदार था ...उन्होंने कहा तब कर लिया होता तो शायद अब जो कर रहा हूं, वो ना कर पाता, इसलिए अभी ज्यादा खुश हूं. 

दोनों जवाब में एक बात कॉमन है कि हर काम, हर खिताब, हर पुरस्कार आप नहीं ले सकते. सब आप ही समेट लें इसका लालच मत कीजिए । जीवन में सभी को किसी न किसी बात का दुख रहेगा ही क्योंकि....जिंदगी की कोई अंतिम मंजिल नहीं होती... इसलिए किसी आखिरी जीत या अंतिम लक्ष्य के लिए जीना भ्रम है....।

जीवन एक खेल है, बस फर्क है कि इसमें कोई रैफरी नहीं है। इसलिए जिंदगी जीने का कोई पक्का फॉर्मूला किसी किताब में नहीं मिल सकता। जिंदगी की रेस में कई बार आपको लगता है जीत रहे हैं और कई बार हारने का एहसास होता हैं। 
 
साहित्य के नोबेल विजेता मशहूर लेखक जोसेफ ब्रॉडस्की ने जिंदगी हंसते-गाते हुए बिताने के गुरों का विस्तार से जिक्र किया था। उनका मानना है कि जिंदगी को समझने के दो तरीके हैं.....या तो हर बात अपने अनुभव से सीखें या फिर.... कुछ बातों के लिए दूसरे के अनुभव को भी तरजीह दें...क्योंकि कोई किसी काम में एक्सपर्ट हो सकता है जबकि कोई दूसरे काम में मास्टर हो सकता है।
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वह पथ क्या,पथिक कुशलता क्या...
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों...
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या...
यदि धाराएँ प्रतिकूल न हों...!!

जयशंकर प्रसाद