Friday, December 4, 2020

वेद वाणी 2-18-8

न म इन्द्रेण सख्यं वि योषदस्मभ्यमस्य दक्षिणा दुहीत।
उप ज्येष्ठे वरूथे गभस्तौ प्रायेप्राये जिगीवांसः स्याम॥ ऋग्वेद २-१८-८॥


मेरी मित्रता परमेश्वर से सदैव बनी रहे। परमेश्वर का रक्षण सदैव मुझे प्राप्त होता रहे। परमेश्वर सदैव मुझे उत्तम कर्म करने के लिए ज्ञान और प्रेरणा प्रदान करते रहें। जिससे कि मैं अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकूं। (ऋग्वेद २-१८-८) 


May my friendship be with Parmatma forever. I always keep receiving the protection of Parmatma. May Parmatma always provide me the knowledge and inspiration to do noble deeds. So that I can achieve my goal of life. (Rig Veda 2-18-8)

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