Wednesday, November 1, 2017

शिवापराधक्षमापनस्तोत्रम्

आयुर्नश्यति पश्यतां प्रतिदिनं याति क्षयं यौवनं
प्रत्यायान्ति गताः पुनर्न दिवसाः कालो जगद्भक्षकः।
लक्ष्मीस्तोयतरङ्गभङ्गचपला विद्युच्चलं जीवितं
तस्मान्मां शरणागतं शरणद त्वं रक्ष रक्षाधुना।।

- शिवापराधक्षमापनस्तोत्रम्

प्रतिदिन आयु नष्ट हो रही है, यौवन का क्षय हो रहा है।
बीता हुआ दिन फिर वापस नहीं आता, काल संसार का भक्षक है।
लक्ष्मी (धन-संपत्ति) जल की तरंग-भंग की भांति चपला है, जीवन विद्युत के समान क्षणभंगुर है।
इसलिए, आप जो सभी को शरण देते हैं, अब इस शरणागत की रक्षा कीजिए।

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