मैं अपनी औकात में खुश हूँ।
जैसी भी है अपनी जात में खुश हूँ।
नहीं किसी से कुछ चाहा है ,
मैं तो हर हालात में खुश हूँ।
खुशियाँ रूठ गईं तो क्या गम ,
गैरों की बारात में खुश हूँ।
उन्हें मुबारक उनका सूरज ,
मैं तो अपनी रात में खुश हूँ।
जब तक हंसी नहीं आती है ,
आंसू की सौगात में खुश हूँ।
दर्द सहन करना क्या आया ,
अपनों के आघात से खुश हूँ।
जश्न जीत का खूब मनाओ ,
मैं तो अपनी मात में खुश हूँ।
इसका मतलब जो भी निकले ,
मैं तो बस बरसात में खुश हूँ।
वो दिमाग से बेशक सोचें ,
मैं तो दिल की बात से खुश हूँ।
- Anonymous
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