एक टेलीफोन साक्षात्कार में, रेडियो उद्घोषक ने अपने एक करोड़पति अतिथि से पूछा, "आपको जीवन में सबसे ज़्यादा खुशी 😊कब और कैसे मिली ?"
करोड़पति ने कहा:
मैं जीवन में खुशियों 😄 के चार पड़ावों से गुजरा हूं और आखिरकार मैंने सच्चे सुख का मतलब समझा। पहला चरण धन और साधनों का संचय करना था। लेकिन इस पड़ाव पर मुझे वह खुशी नहीं मिली जो मैं चाहता था।
तब कीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया। लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का प्रभाव भी अस्थायी है और मूल्यवान चीजों की चमक लंबे समय तक नहीं रहती है।
फिर बड़े प्रोजेक्ट्स पाने का तीसरा चरण आया। जैसे फुटबॉल टीम खरीदना, टूरिस्ट रिसोर्ट खरीदना आदि, लेकिन यहां भी मुझे वह खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी।
चौथी बार मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा।
उस मित्र के अनुरोध पर मैंने तुरंत एक व्हीलचेयर खरीदी। लेकिन दोस्त ने जोर देकर कहा कि मैं उसके साथ जाऊँ और बच्चों को व्हीलचेयर स्वयं दूँ । मैं तैयार हो गया और उसके साथ चला गया। वहाँ मैंने अपने हाथों से उन बच्चों को ये व्हीलचेयर दी । मैंने उन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को कुर्सियों पर बैठते, घूमते और मस्ती करते देखा। नज़ारा ऐसा था कि जैसे वे किसी पिकनिक स्थल पर गए हों।
लेकिन मुझे असली खुशी तब महसूस हुई जब मैं वहाँ से जाने के तैयार हुआ और बच्चों में से एक ने मेरा पैर पकड़ लिया। मैंने धीरे से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन बच्चे ने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को कसकर पकड़ लिया।
मैं नीचे झुका और बच्चे से धीरे से पूछा: क्या तुम्हें और भी कुछ चाहिए?
इस बच्चे ने जो जवाब दिया, उससे न केवल मुझे खुशी हुई, बल्कि मेरी ज़िंदगी भी पूरी तरह से बदल गई। इस बच्चे ने कहा: "मैं आपके चेहरे को याद करना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान पाऊंगा और एक बार और धन्यवाद दूंगा"
अस्तु ।
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